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भारतीय संस्कृति एक ऐसा उजाला जो खुद में सबको समाहित कर लेती है , जो भी आता यहीं घुल जाता, अनेको कष्ट और अग्नि परीक्षाओं से तरासी गयी है ये हमारी संस्कृति , कई लांछन ,कई नाम , हजारों परिभाषाएं परन्तु हर रूप में एक अलग पहचान यही है हमारी मातृभूमि |
परन्तु क्या भारतीय संस्कृति का असली नाम हिंदुत्व है और क्या भारतीय संस्कृति में पशु अधिकार सर्वोपरि है , और यदि ऐसा है तो ये किसी मायने में अतुलनीय और पवित्र नहीं हो सकती |
जी हाँ आप सही सोच रहे हैं , भारतीय संस्कृति के नाम पर हिन्दुत्वा की चादर ओढ़ गौरक्षा और गौरक्षा के नाम पर हत्या ,
क्या यही भारतीय सभ्यता का असली प्रारूप है ……………
जी नहीं ….. भारतीय संस्कृति एक सच्चाई है जो हमेशा सत्य और धर्म का पक्ष लेती है चाहे वो किसी धर्म विशेष , जाति या मजहब विशेष हो , हिंदुत्व तो एक जीवन शैली है जो की भारतीय संस्कृति को परिपूर्ण करती है परन्तु इसका मतलब ये नहीं की भारतीय संस्कृति मतलब हिंदुत्व , भारतीय सभ्यता तो एक अमृत के समान है , जिस भी धर्म विशेष ने इसे पिया ,अमर हो गया , ये तो एक पवित्र बंधन है , जो भी जुड़ा सदा के लिए साथी बन गया ……..
परन्तु जो कुछ लोग इसे हिंदुत्व का नाम देते है वो हिंदुत्व के बारे में कुछ नहीं जानते , हिंदुत्व एक वट वृक्ष है , विशाल बहुत विशाल अनेको लताएं अनेको डालियाँ …… जो भी इसके करीब आएगा , आनंद और सुख का भागी बन जायेगा , जो भी धर्म इसकी छाया में आना चाहेगा ,अपने पूर्ण रूप में वो तृप्त हो जायेगा |
भारतीय संस्कृति जो गाय को माँ का दर्जा देती है और पवित्र मानती है , परन्तु क्या गाय को मनुष्य के जीवन से बहुमूल्य मानती है , और यदि ऐसा है तो मनुष्यों को गाय पलने का अधिकार नहीं , उसके दूध पीने का अधिकार नहीं , लेकिन ऐसा नहीं है , हाँ भारतीय सभ्यता गाय को माँ का दर्जा देती है परन्तु गौ रक्षा हेतु किसी की जान लेने को नहीं कहती , और मैं उन गौ रक्षकों से पूछना चाहूंगा , क्या आपका प्यार आपकी माँ के लिए केवल दूध तक ही सीमित है , अरे उसके वृद्ध हो जाने पे आप उसे सड़क पर क्यों छोड़ देते, उसे भूखे रहने पे मजबूर करते , तड़प तड़प के मरने को मजबूर कर देते ………
अतः आप सभी से निवेदन है की हिंदुत्व को गलत रूप मत दीजिये , इसे सम्भालिये, इसका सम्मान करिये परन्तु इसे भारतीय संस्कृति मत कहिये क्योंकि भारतीय सभ्यता और समाज अनेकों धर्मों का संगम है |
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