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कपड़े या विचार ….. क्या यही तेरे संस्कार ,

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आधुनिकता, एक जीता -जागता, चलता – फिरता नशा ,जो एक बार डूबा समझो हर शब्द, हर रूप , हर काम में बदल सा गया | हमारी आधुनिक पीढ़ी , आधुनिकता के अंध भक्त , जिनकी हर सुबह उन्हें आधुनिकता के नए आयाम दिलाती है , हाथ पैरों के बजाय ,होठ का गालों पे जाना … उन चाय के प्यालों में कॉफी की चुस्कियां लेना , राह चलते हुए गीत कानों में बजना ……………………………………
इन्हें आधुनिकता का प्रारूप लगता है ,, पर आखिर क्या यही आधुनिकता की मंजिल को जाने वाले रस्ते है या फिर कह लें की ये छोटी छोटी सीढ़ियां है जिनपे कदम रखकर आधुनिक बना जा सकता है | आखिर क्यों हमारे युवाओं को लगता की आधुनिकता पश्चिमीकरण का रूप है आखिर क्यों उन्हें लगता की पश्चिमी सभ्यता उन्हें आधुनिक बनाएगी…………… आखिर गलती किसकी है ,
गलती समाज की है , गलती हमारे संस्कार दाताओं की है ,गलती हमारी शिक्षा व्यवस्था की है, जो केवल और केवल एक ही बात स्मरण करते की अंग्रेजी भाषा एक ज्ञान है इसे अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाओ , एक नया जीवन एक नयी आशा भी आधुनिकता के गोद में जन्म लेती है , हमारा समाज जो की आधुनिकता के जैसे एक रेस में लगा है ,जितने भड़कीले कपडे समाज के आधुनिकता का मापदंड दर्शाती है ,,,,,,,,,,,, और यहाँ आकर हमारी आधुनिकता को परिभाषा का आधार और महत्ता पता चलती है ………………….
क्या आधुनिकता केवल कपडे या एक भाषा का मोहताज है , जी नहीं आधुनिकता तो विचारों का एक तार्किक रूपांतरण है ,हर वो शख्स जो अपने प्रत्येक कार्यों में तर्कसंगत है वो है आधुनिक है और ये कोई भी हो सकता चाहे वो गरीब से गरीब , दिन भर धुप में जलने वाला किसान हो ये सड़क पर भीख मांगने वाला कोई व्यक्ति , अगर वो तर्कसंगत है अपने विचारों में तो मेरी नज़रों में आधुनिक है , और उसे एक अंग्रेजी जो की महज एक भाषा है के ज्ञान की जरूरत नहीं |
परन्तु अगर हम आपने आधुनिक समाज की बात करें तो हमारे युवाओं के पथ प्रदर्शक , मेरे मतलब जिन्हे हमारे युवा आधुनिकता का प्रतिबिम्ब मानते है ( अभिनेत्रियां , अभिनेता , सैलिब्रिटीज ) ये स्वंय आधुनिकता से कोसो दूर है , अगर में कुछ उदहारण दूँ तो —— आदरणीय सोनम कपूर , राष्ट्रीय फिल्म पुरष्कार विजेता , उन्हें भारत का राष्ट्रगान नहीं पता , आलिया भट्ट जिन्हे भारत के राष्ट्रपति का नाम नहीं पता … ये किस रूप में आधुनिकता के तथाकथित रोल मॉडल हैं |

अतः मेरा निवेदन है की आधुनिकता के इस दौड़ में केवल कपडे या भाषा के गुलाम बन कर मत रहिये , आधुनिकता को समझिये , इसे आपने विचारों के उत्थान का प्रोत्साहन मानिये , कपडे पहनिए , अंग्रेजी भाषा का भी प्रयोग करिये परन्तु आधुनिक बनाने के लक्ष्य में केवल इन्ही तक सीमित मत रहिये |

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